सिख दंगों पर आया कोर्ट का बड़ा फैसला! एचएस फुल्का ने बताया अदालत में क्या क्या हुआ?

राष्ट्रीय जजमेंट

1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने पर एडवोकेट एच.एस. फूल्का ने कहा कि आज सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार को 1984 में दो सिखों की हत्या के लिए दोषी ठहराया है। यह जसवंत सिंह और उनके बेटे तरनदीप सिंह की हत्या से जुड़ा मामला है। इस मामले को पुलिस ने बंद कर दिया था। 2015 में मोदी सरकार द्वारा SIT नियुक्त किए जाने के बाद इसे फिर से खोला गया। हम अदालत, सरकारी वकील मनीष रावत और IO जगदीश कुमार के आभारी हैं जिन्होंने इस पर बहुत मेहनत की। 18 फरवरी को अदालत सजा सुनाएगी।दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख दंगों से संबंधित दूसरे मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है जबकि उनके खिलाफ दो और मामले दर्ज हैं। कुमार को एक नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में हुई हिंसा के दौरान जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया है। अदालत में 18 फरवरी को सजा पर बहस होगी। इस मामले में अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है। सज्जन कुमार को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-I क्षेत्र में 1-2 नवंबर, 1984 को पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-II में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है। दो अन्य मामलों में निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दायर दो अन्य अपीलें फिलहाल उच्च न्यायालय में लंबित हैं। दिल्ली की निचली अदालतों में कुमार के खिलाफ दो मामले लंबित हैं, जिनमें से एक नवादा के गुलाब बाग स्थित एक गुरुद्वारे के पास हुई हिंसा से संबंधित है। इस मामले में एक न्यायाधीश ने अगस्त 2023 में उन पर मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी। दिल्ली की एक अदालत 1984 में जनकपुरी और विकासपुरी इलाकों में हुए दंगों से संबंधित एक मामले की भी सुनवाई कर रही है। हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में दंगों के संबंध में 587 प्राथमिकी दर्ज की गईं। दंगों में 2,733 लोगों की मौत हुई थी। कुल मिलाकर, लगभग 240 प्राथमिकियों को पुलिस ने अज्ञात बताकर बंद कर दिया था और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया। फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न अदालतों में लगभग 20 मामले लंबित हैं।

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