केजरीवाल को हरा जाइंट किलर बने प्रवेश वर्मा, कौन से हैं वो सिक्स फैक्टर जो बना रहे हैं उन्हें सीएम पद का प्रबल दावेदार?

राष्ट्रीय जजमेंट

कोई खिलाड़ी जो अप्रत्याशित रूप से एक अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हरा देता है तो उसे जायंट किलर कहा जाता है। राजनीति में भी ऐसे ही नाम हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक कन्नौज में डिंपल यादव को हराया। स्मृति ईरानी जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में हराया। केपी यादव ने गुणा में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात दी थी। दिल्ली के चुनाव में बीजेपी की प्रचंज जीत की चर्चा तो चारो तरफ है ही, लेकिन इस जीत के साथ ही एक हार की चर्चा भी सबसे ज्यादा हो रही है। वो हार है दिल्ली के पूर्व सीएम आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल की। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बीजेपी नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने आम आदमी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हरा दिया है। प्रवेश वर्मा के अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा सीट पर हराने के बाद उन्हें एक बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा है। नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को एक जायंट किलर के रूप में देखा जा रहा है। लोकसभा के पूर्व सदस्य वर्मा ने आप समर्थकों को चौंका दिया क्योंकि केजरीवाल पार्टी का मुख्य चेहरा थे। वर्मा ने केजरीवाल को एक कठिन मुकाबले में 3,000 से अधिक वोटों से धूल चटा दी। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेशवर्मा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में अपनी ‘‘जीत’’ का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली की जनता को दिया। 1. जाइंट किलर: वर्मा ने उसे हराया जो बीजेपी के सबसे बड़े चुनौती देने वालों में से एक था। प्रतिद्वंद्वी दल के मुख्य चेहरे पर विजय प्राप्त कर उन्होंने अपनी ताकत का लोहा मनवाया।2. जाट फैक्टर: बीजेपी ने जाट वोटों पर निशाना साधा क्योंकि AAP लगातार बीजेपी पर समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगा रही थी। हालांकि नई दिल्ली जाट बहुल सीट नहीं है, लेकिन भगवा पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी की सबसे प्रतिष्ठित सीट पर जाट नेता वर्मा को खड़ा किया। शीर्ष नेतृत्व वर्मा को सीएम पद के लिए चुन सकता है क्योंकि दिल्ली में कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां जाट समुदाय का वर्चस्व है। इस बार बीजेपी आप के जाट वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही. 3. हिंदुत्ववादी छवि: वर्मा हिंदुत्व से संबंधित मुद्दों, विशेष रूप से मुस्लिम तुष्टिकरण और दिल्ली में रहने वाले अवैध मुस्लिम बांग्लादेशियों पर मुखर रूप से मुखर रहे हैं। वह बीजेपी के सबसे बड़े हिंदुत्व चेहरों में से एक हैं।
4. पार्टी के प्रति संमर्पण: वर्मा को लोकसभा चुनाव 2025 में टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने पार्टी के फैसले को खुशी से स्वीकार कर लिया और दिल्ली चुनावों पर ध्यान केंद्रित किया। 5. आप के खिलाफ एग्रेसिव कैंपेन: वर्मा ने ‘शीश महल’ विवाद पर केजरीवाल के खिलाफ हमले का नेतृत्व किया। वह इस मुद्दे को सार्वजनिक डोमेन में लाने में सफल रहे।6. पूर्व सीएम के बेटे: वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जो उनके पक्ष में भी जाता है। पार्टी में उनके पिता की जड़ें होने के कारण उनके सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं।

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