Pachora विधानसभा सीट पर महायुति ने कसी कमर, शिंदे गुट के Kishore Patil को घोषित किया अपना उम्मीदवार

राष्ट्रीय जजमेंट

महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव का प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राज्य में कल यानि 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। ऐसे में प्रचार के लिए सिर्फ अब कुछ ही दिन बचे हैं। चुनाव आयोग ने शेड्यूल जारी किया है उसके मुताबिक 20 तारीख को पूरे राज्य में मतदान किया जाएगा। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में जीत के लिए 145 सीटों का बहुमत चाहिए होगा। महाराष्ट्र की 18वें नंबर की विधानसभा सीट है पचोरी सीट। इस सीट पर फिलहाल शिवसेना के किशोर अप्पा पाटिल मौजूदा विधायक हैं। तो वहीं महायुति ने इस बार शिवसेना के किशोर पाटिल को इस क्षेत्र में चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है।पचोरा विधानसभा सीट पर लंबे वक्त से शिवसेना का दबदबा रहा है। 1999 के चुनाव के बाद दो बार यहां से शिवसेना ने शानदार जीत दर्ज की है। हालांकि, इसके बाद एनसीपी के वाघ दिलीप ओंकार ने 2009 में यह सीट शिवसेना से छीन ली। लेकिन, शिवसेना एसएचएस के किशोर अप्पा पाटिल ने इस विधानसभा को एसीपी से फिर छीन लिया और लगातार दो बार जीते। इस बार शिवसेना और एनसीपी दोनों ही दो-दो ऑप्शन के साथ राजनीतिक गलियारों में है। दोनों ही राज्य की दमदार पार्टियां हैं और दोनों के ही दो फाड़ हो चुके हैं।पिछले चुनाव में पचोरा विधानसभा सीट पर किशोर अप्पा पाटिल शिवसेना के टिकट पर दूसरी बार अपना ग्राउंड बचाने के लिए उतरे थे। वहीं एनसीपी के टिकट पर सीट वापस कब्जाने के लिए दिलीप ओंकार वाघ उतरे थे। यह चुनाव भी एक निर्दलीय उम्मीदवार की वजह से त्रिकोणीय हो गया था। इसमें अनमोल पंडितराव शिंदे ने निर्दलीय पर्चा भरा था। आंकड़ों की बात करें तो शिवसेना के किशोर अप्पा पाटिल को 75699 कुल वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय अनमोल शिंदे को 73615 वोट मिले। एनसीपी के दिलीप की बात करें तो उन्हें 44961 वोट से ही संतोष करना पड़ा। शिवसेना के किशोर को निर्दलीय उम्मीदवार अनमोल ने कड़ी टक्कर दी लेकिन किशोर पाटिल जीत गए।क्या हैं क्षेत्र के जातिगत समीकरण ?इस विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर पाटिल समाज का बाहुल्य है। इनके वोय शेयर की बात करें तो पूरी विधानसभा में यह करीब 28 प्रतिशत है। इसके बाद इस सीट पर मुस्लिम समाज के लोग हैं, इनका वोट शेयर सीट पर करीब 10 प्रतिशत है। इसके बाद महाजन और भील समाज के लोग भी यहां पर ठीक-ठाक संख्या में हैं। इनका प्रतिशत करीब ढाई से तीन के बीच है।

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