इंडिया के लिए चुनौती पैदा कर सकता है 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राष्ट्रीय जजमेंट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के साथ, इंडिया ब्लॉक की प्राथमिक चुनौती अब फैसले पर प्रतिक्रिया तैयार करना होगी क्योंकि भाजपा इसे जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यों के जोरदार समर्थन के रूप में पेश करेगी। हिंदी पट्टी के राज्यों में विधानसभा जीत के बाद भाजपा की आक्रामकता और अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की प्रतीक्षा में, सोमवार को अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक और ध्रुवीकरण मुद्दा प्रदान किया है जो लोकसभा चुनाव को लेकर इंडिया ब्लॉक के सामने कई बड़ी चुनौतियां पेश कर सकती हैं।370 को लेकर जो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया उसके बाद वामपंथी और जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने जहां इस पर निराशा व्यक्त की तो वहीं विपक्षी गठबंधन का हिस्सा रहने के बावजूद उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसका जोरदार तरीके से स्वागत किया। कांग्रेस ने भी यह साफ तौर पर कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर जो राजनीतिक बहस छिड़ी हुई थी उसे समाप्त कर दिया। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी भी प्रकार की निराशा व्यक्त नहीं की। पार्टी ने अपनी बात कहने के लिए अपने कानूनी दिग्गज पी चिदम्बरम और अभिषेक सिंघवी को मैदान में उतारा। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा सुनवाई की गई किसी भी याचिका में कांग्रेस न तो याचिकाकर्ता थी और न ही हितधारक, इस सवाल को खारिज कर दिया कि क्या पार्टी समीक्षा की मांग करेगी। कांग्रेस को अब इस बात किया शंका दिखने लगी है कि अगर 370 के खिलाफ प्रचार किया जाए तो इसे हिंदी पट्टी राज्यों में भाजपा को भारी समर्थन मिल सकता है। वहीं, पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस इस मामले को लेकर फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। वह अब सिर्फ जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और जल्द चुनाव कराए जाने की मांग पर अड़ी हुई है। हालांकि, कांग्रेस का यह रुख नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के अनुकूल नहीं है। इससे कहीं ना कहीं कश्मीर के इन दलों के साथ कांग्रेस के रिश्तों में खटास देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के लिए राहत की बात यह भी है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने जहां मुखरते से फैसले का स्वागत किया है तो वहीं समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे सहयोगी दल इस मामले पर पूरी तरीके से चुप नजर आ रहे हैं। आप ने 2019 में आपने इसका समर्थन किया था लेकिन फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसने चुप्पी साथ रखी है।

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