मेरठ: शंभूनगर स्थित कोठी नंबर 171 में ऑटोमोबाइल्स कंपनी के मालिक आलोक बंसल पत्नी, मां और बेटे के साथ रहते हैं। उनके घर में नेपाल के जिला कैलाली के गांव चाऊमाला निवासी (38) चंदर पुत्र देव बहादुर पांच साल से पत्नी राधा और चार वर्षीय बेटी अंजलि के साथ रहते था। चंदर खाना बनाने का काम करता था और उसकी पत्नी साफ-सफाई का काम करती थी। नौकर दंपती कोठी की तीसरी मंजिल पर नौकर के लिए बने कमरे में रहते थे।आलोक बंसल ने बताया कि वह परिवार के साथ शनिवार 8:45 बजे नववर्ष की पार्टी के लिए होटल चले गए थे।
चंदर भी घर का सारा काम निपटाकर अपने कमरे में चला गया था। नए साल और बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए दंपती देर रात तक नहीं सोए थे। रात करीब दो बजे वह नीचे से कोयले का तसला लेकर ऊपर पहुंचे थे। इसके बाद वह नीचे नहीं आए।मकान मालिक ने बताया कि वह रविवार सुबह 11 बजे सोकर उठे। स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा करने चले गए। उन्होंने कोठी में भी पूजा का आयोजन किया था। 12 बजे पंडित कोठी पर पहुंच गए। इसके बाद परिवार के लोग पूजा में लग गए। नेपाली नौकर चंदर को उन्होंने फोन मिलाया, लेकिन नहीं उठा। उसी समय वह ऊपर जाते तो शायद दंपती और बच्ची की जान बच सकती थी।
कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए तसले में कोयला सुलगाकर चंदर पत्नी और बच्चे के साथ सो गया। आशंका है कि कोयले के कारण पूरी तरह बंद कमरे में ऑक्सीजन की कमी होने से तीनों का दम घुट गया। पुलिस-112 ने घटना की जानकारी ली। टीपीनगर पुलिस ने तीनों के शवों का पंचनामा भरकर मोर्चरी के लिए भेज दिया। रात में फोरेंसिक टीम ने कमरे से सैंपल लिए।कमरे में कोयला सुलगने के कारण गैस बन गई थी। इससे हादसा हो गया।कमरे में देखा तो कोयले से भरा तसला बेड से कुछ दूरी पर ही रखा हुआ था। बेड शीट भी सनी हुई थी। लग रहा था कि दम घुटने से उन्हें उल्टी भी हुई होगी।
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