शिक्षा के मंदिर में बच्चों का होता है शोषण

विद्यालय में पढ़ाई न करा कर कराई जाती है साफ़ सफाई, किसी से न कहने का भी बनाया जाता है दबाव ऐसे विद्यालय प्रबंध के खिलाफ जिला प्रशासन क्यों रहता है नतमस्तक

राष्ट्रिय जजमेंट न्यूज़

संवाददाता

सुल्तानपुर: विद्यालय काे शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। जब यह मंदिर शिक्षा के साथ-साथ अभिभावक एवं समाज को जोड़ने और मार्गदर्शन करने के लिए नए प्रयोग के माध्यम से कार्यक्रमों का संचालन करता है तो वह विद्यालय समाज में मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।बालकों में सामाजिक सहयोग, सहनशीलता,अनुशासन, सहानुभूति और सामाजिक चेतना जैसे गुणों का विकास किया जाना आवश्यक है।

जिससे वे समाज के सम्मुख सामाजिक दृष्टिकोण एवं एक सक्रिय वातावरण का निर्माण कर सके। यह कार्य विद्यालय अनेक क्रियाओं जैसे- सामाजिक उत्सव समाज सेवा कैम्प आदि के माध्यम से सम्पन्न करता है।लेकिन सुल्तानपुर जिले के दुबेपुर विकासखंड स्थित द्वारिका प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज आरडीह यहां का प्रबंध तंत्र बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है जिन बच्चों को हम कल का भविष्य कहते हैं उन्हीं बच्चों के भविष्य के साथ विद्यालय प्रशासन खिलवाड़ करता नजर आ रहा है विद्यालय सुबह खुलता है

बच्चे विद्यालय में पहुंचते हैं उसके बाद साफ सफाई के नाम पर ना तो कोई बाहरी व्यक्ति साफ सफाई करता है ना कोई प्राइवेट आदमी विद्यालय की साफ-सफाई की व्यवस्था बच्चों के ऊपर निर्भर रहती है बच्चे विद्यालय पहुंचते ही सबसे पहले विद्यालय की साफ सफाई करते हैं कूड़ा करकट बनते हैं ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जिला प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान क्यों बना है इस मामले में जब जिला विद्यालय निरीक्षक से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका नंबर नहीं लगा ऐसे में सवाल उठता है क्या इसी तरह चलता रहेगा तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा बच्चों के परिजन कहां जाएंगे अपना दुखड़ा सुनाने

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